स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन : Vol- 01, Issue- 03 , Nov- Dec 2013



स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन :  Vol- 01, Issue- 03 , Nov- Dec 2013

Swapnil Saundarya e-zine :                               

Swapnil Saundarya is a bi-monthy online magazine ( e-zine ) .It is a typical lifestyle e-zine that encourages its readership to make their life just like their dream world . The e-zine permanently published columns on Beauty, literature, fashion and lifestyle tips, recipe, interiors, career, society, travel, film and television, remedies,  famous personality, religion and many more.






घर -परिवार , स्वास्थ्य , ब्यूटी, रेसिपी, मेहंदी, कैरियर और फायनांस से जुड़ी हर वो बात जो है हम सभी के लिये खास, पहुँचेगी आप तक , हर पल , हर वक़्त, जब तक स्वप्निल सौंदर्य के साथ हैं आप. पाठकों के प्रेम व उनकी माँग पर अब आपका अपना ब्लॉग ' स्वप्निल सौंदर्य ' उपलब्ध है ई-जीन के रुप में .
द्वि-मासिक ई-पत्रिका के रुप में 'स्वप्निल सौंदर्य' में कुछ खास स्तंभों को भी सम्मिलित किया जा रहा है ताकि आप  अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया बनाते रहें. सुंदर सपने देखते रहें और अपने हर सपने को साकार करते रहें .तो जुड़े रहिये 'स्वप्निल सौंदर्य' ब्लॉग व ई-ज़ीन  के साथ .

और ..............

बनायें अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया .

Founder - Editor  ( संस्थापक - संपादक ) :  Rishabh Shukla  ऋषभ शुक्ला

Managing Editor (कार्यकारी संपादक) :  Suman Tripathi (सुमन त्रिपाठी)

Chief  Writer (मुख्य लेखिका ) :  Swapnil Shukla (स्वप्निल शुक्ला)

Art Director ( कला निदेशक) : Amit Chauhan  (अमित चौहान)

Marketing Head ( मार्केटिंग प्रमुख ) : Vipul Bajpai     (विपुल बाजपई)


'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' में पूर्णतया मौलिक, अप्रकाशित लेखों को ही कॉपीराइट बेस पर स्वीकार किया जाता है . किसी भी बेनाम लेख/ योगदान पर हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी . जब तक कि खासतौर से कोई निर्देश न दिया गया हो , सभी फोटोग्राफ्स व चित्र केवल रेखांकित उद्देश्य से ही इस्तेमाल किए जाते हैं . लेख में दिए गए विचार लेखक के अपने हैं , उस पर संपादक की सहमति हो , यह आवश्यक नहीं है. हालांकि संपादक प्रकाशित विवरण को पूरी तरह से जाँच- परख कर ही प्रकाशित करते हैं, फिर भी उसकी शत- प्रतिशत की ज़िम्मेदारी उनकी नहीं है . प्रोड्क्टस , प्रोडक्ट्स से संबंधित जानकारियाँ, फोटोग्राफ्स, चित्र , इलस्ट्रेशन आदि के लिए ' स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता .


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चेतावनी : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' में घरेलु नुस्खे, सौंदर्य निखार के लिए टिप्स एवं विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के संबंध में तथ्यपूर्ण जानकारी देने की हमने पूरी सावधानी बरती है . फिर भी पाठकों को चेतावनी दी जाती है कि अपने वैद्य या चिकित्सक आदि की सलाह से औषधि लें , क्योंकि बच्चों , बड़ों और कमज़ोर व्यक्तियों की शारीरिक शक्ति अलग अलग होती है , जिससे दवा की मात्रा क्षमता के अनुसार निर्धारित करना जरुरी है. 

संपादकीय 


कला का हमारी ज़िंदगी में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है ........यदि अपने निजि अनुभवों की बात करुँ तो  बचपन से ही चित्रकला की ओर मेरा गहरा झुकाव था. मेरे लिए यह कला मेरी भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम थी ....... स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन का संस्थापक - संपादक होने के साथ- साथ , पेशे से मैं, एक इंटीरियर डिज़ायनर भी  हूँ ...... और पूरी कोशिश करता हूँ कि अपने क्लाइंट्स की आवश्यकताओं के अनुसार उनके लिविंग स्पेस को एक बेहतरीन कलात्मक परिवेश में ढाल सकूँ........ मेरे अनुसार किसी स्थान के वातावरण को खूबसूरत व सजीव बनाने के लिये कलात्मक वस्तुओं की अहम भूमिका होती है. फिर चाहे वो पेंटिंग्स हों, आर्टिफेक्ट्स , मूर्तियाँ, फर्नीचर आदि पर की गई नक्काशी या डेकोरेटिव फिक्सचर्स एवं फिटिंग्स आदि हों........ कुल मिलाकर इस बात में तनिक भी संदेह नहीं कि 'कला' हमारे आसपास के वातावरण को जीवंत करती है, खुशियाँ बिखेरती है........ कला के बिना एक खूबसूरत जीवन व जीवन शैली की कल्पना करना भी असंभव है........खूबसूरत ज़िंदगी का आधार 'कला' ही है.

मेरी ज़िंदगी भी कलात्मक वातावरण से घिरी हुई है........मुझे विभिन्न कलाओं जैसे चित्रकारी, फोटोग्राफी, लेखन व संगीत में बेहद दिलचस्पी है........मेरे कैरियर की शुरुआत दिल्ली की एक प्रतिष्ठित कंपनी में बतौर इंटीरियर डिज़ायनर के रुप में हुई ........ पहली नौकरी........पहली सैलरी........ पहला बॉस........पहला प्रॉजेक्ट........इन खूबसूरत यादों को , पलों को , वक़्त को मैं, अपनी मुट्ठी में कैद करना चाहता था. पर वक़्त को भला कौन बाँध पाया है........वक़्त तो गतिशील है. जब मैंने पुणे में अपनी पहली आर्ट एक्सीबिशन लगाई तो उन खास लोगों को शायद ही कभी भूल पाऊँ जिनकी खूबसूरत व दिल को छू जाने वाली बातें , तारीफें और प्रोत्साहन ने मुझे और बेहतर कार्य करने की प्रेरणा दी.
आज मैं, फ्रीलॉन्स डिज़ायनर के तौर पर सक्रिय हूँ व '9-5'  टाइमिंग  वाली जॉब से मुक्त हूँ........तो अपने लिये कुछ समय निकाल पाने में खुद को समर्थ महसूस करता हूँ और कभी- कभी जब काम का भार कुछ कम होता है तब , चाय की चुसकियों के साथ अंधेरे कमरे में तन्हा मैं, अपनी अभी तक की ज़िंदगी के  खास पलों को याद करता हूँ  और एक बार पुन: विश्लेषण करता हूँ........इससे मुझे एक आत्म- संतुष्टि मिलती है  कि ईश्वर की कृ्पा से ज़िंदगी के अभी तक के सफर में जो पाया, जो कार्य किये ........वे सब उचित थे........ऐसे में एक दिन अचानक मन में विचार आया कि क्यों न अपनी ज़िंदगी की इन बेहतरीन यादों को और ज़िंदगी के उन खास पलों को पेंटिंग्स में रुपांतरित किया जाए. फिर क्या था उन खास लोगों की शक्लें , उनके साथ बिताये गए कुछ खास पल , उन खास लोगों की मासूमियत जिसने ज़िंदगी के अलग- अलग चरणों में मेरा दिल जीता, वो चेहरे जो दिल को छू गए, जो दिल में बस यूँ ही उतर गए..... वो चेहरे जो कभी मेरे लिए बन गए थे इतने खास कि उनके खूबसूरत चेहरे के आगे नहीं मायने रखती थी मेरे लिए उनकी पहचान ........... बस उन्हीं खास लोगों को, उन्हीं खास चेहरों को ... उनके साथ बिताये गए कुछ खास पलों को उतार डाला कैनव़स पर और अपनी ज़िंदगी के कुछ खास लम्हों को समेटे पेंटिंग्स की यह श्रृंख्ला को स्वप्निल सौंदर्य ई -ज़ीन के माध्यम से आप सभी के साथ बाँट रहा हूँ . आशा है ये चित्र आप सभी के दिल को छू पाएंगे.
वैसे सच्चाई तो यह है कि जब आपकी ज़िंदगी ही आपकी कला की प्रेरणा बन जाए तो इससे बेहतर और कुछ नहीं होता ........ आप हर वक़्त पूरी शिद्द्त से यह कोशिश करते हैं कि अपनी ज़िंदगी को भी आप उतनी ही हसीन बनायें जितनी लगन से आप अपनी पेंटिंग्स को हसीन व खूबसूरत बनाने की ज़द्दोजेहद करते हैं........ वैसे भी कला का असली मतलब अपने Expressions अर्थात अपने भावों को प्रकट करना होता है. और अपनी खुद की ज़िंदगी को पेंटिंग्स में रुपांतरित करना व देखना सच में बेहद अदभुत व खूबसूरत एहसास है..................स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन का यह अंक कला के नाम .














आप सभी पाठकों को यह जान कर हर्ष होगा कि स्वप्निल सौंदर्य ई- जीन में 'उद्यमीयता विकास' नामक एक नव स्तंभ जुड़ने जा रहा हैं जिसमें नव उद्यमियों को उद्योग करने के विशेष पहलुओं से अवगत कराने का प्रयास किया जाएगा. साथ ही कैरियर संबंधी जानकारियाँ, पर्सनेलिटी डेवेलपमेंट ( व्यक्तित्व विकास ) , मैनेजमेंट , वर्क कल्चर आदि  जैसे विषयों  पर भी निरंतर प्रकाश डाला जाएगा.इस स्तंभ की मुख्य विशेषता यह होगी कि आपको विभिन्न उद्योगों को स्थापित करने हेतु बेहद सरल व सहज Business Plans  प्रदान करे जाएंगे जिससे आप सभी पाठकों को नवीन उद्यम प्रारंभ करने में आसानी रहेगी व प्रोत्साहन मिलेगा.
कला के विभिन्न पहलुओं को एकत्रित करते हुए स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन के इस अंक में हम लेकर आएं हैं सौंदर्य, साहित्य, खुशियों की चाभी , फैशन व लाइफस्टाइल चर्चा, वास्तु टिप्स , मूर्ति कला के क्षेत्र में कैरियर आदि से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ केवल आप पाठकों के लिए ताकि आप सभी बना सकें अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया. स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के तृ्तीय  अंक ( नवंबर- दिसंबर 2013 )  में हम जिन विभिन्न पहलुओं व जानकारियों  को सम्मिलित कर रहे हैं वे निम्नवत हैं :

विशेष -  Colours of spirit ..from the diary of Madhumita... 
सौंदर्य - ताकि दुल्हन के रुप में आप न बन जाएं शोपीस .........
साहित्य - घुटन
पकवान - सोयाबीन टिक्की
फैशन व लाइफ्स्टाइल - फैशन एसेंशियल्स
इंटीरियर्स - वास्तु शास्त्र और आप
धर्म, संस्कृ्ति व संस्कार - सीता की अग्निपरीक्षा
कैरियर - मूर्तिकला - बेहतर व कलात्मक भविष्य
कड़वा सच - खुशियों की चाभी
शख्सियत - श्री जामिनी राय
उद्यमीयता विकास




शुभकामनाओं सहित ,

आपका ,
ऋषभ

विशेष

From the Diary of Madhumita……
Colors of the Spirit


Hi, friends jus wanted to tweet.... it is my first manifestation ever let me introduce me to u all... i m, jus a petty writer and my first attempt would be unworkable without u all's support... so ur assitance is cardinal...
Dear Happy Wanderers....   Live! Like someone left the gate open!!

Introduction -  Hey!! All... I m Madhumita Banerjee... stepped into this world on 18sep1986... belong to a middle class Bong family... my father( i call him baba) use to work in defence... I am the second Child of my Parents... my sister was a gem since her chilhood and 10 yrs elder than me... she ws good at almost everythng... dont know how anywayz Baba was the only inspiration for two of us and many others too... He ws the muse of family... his vision alwayz helped to shape my life through out... His foremost was clear to all was us-: it was,
·To help people in need
·Second one is cognate to the first, i.e, to look after each and every member of family... not only this nuclear one, family means his 5 bros, 5 sisters, their kids, his own kids, his wife, in-laws..... n the list goes on....
I have been told by Baba that we are Kooleen Brahmins bt i still couldn't find out the literal meaning of it... search is on.... At Baba's tender age he faced Barrels of difficulties but those hurdle dint seem to have impact on him to make him a bit more practicle and li'l narcissistic for his own people....
Catastrophic phase-: Sudden blow hits my family like a tornedo in 1998 and wrested our Hero from our lives... its been almost 16 yrs since then... i ws jus 11.. I still cant believe that he left... Whenever i recall the woe it gives me immense pain... that catastrophe changed my life forever....
Battle of life- The beauteous World has become a battle of life for me... but i'l be thankful to God that in my emptiness, my passion for art & culture was there... my dearest n closest ally for sure... I was not so brilliant in my Academics like my sissy... so decided to do what other fellow batch mates were planning to... Pursued MBA from NDIM( New Delhi Institue of Management, delhi) and Now, i m so fortunate to get a chance to work with NGO...its truely a previlige... I am managing an Educational Project( Intrisic and Holistic Education)... we work to address the issue of quality education for underprivileged children and young adults and empowers women.... so to teach them importance of education we conduct several workshop... i have to visit different cities, mostly the remote areas.... Recently i visited Jaipur... our well-known Pink-city and most joyous part of my trip was in my leisure time i manage to have a beautiful sight of the city which encompassed with magnificent forts from all sides..... 

Rich culture of India- as we all know how diverse our country is and the amazing part is every region has its own unique culture or in other words our culture is so rich bcoz its the amalgamation of distinct culture of varied regions......
 Above mentioned info is universally acknowledge... i don't to prove or elaborate it more. Now let me quickly take u to the land of majestic palaces, some incredible arts and crafts & world famous...very eminent forts.
Creativity has many faces...,, one is Mine.... Step into the world of enigmatic desires  
            
Beauty of nature is calling me,, i must go!!
My journey starts with exploration of apt hospice or any nearby hotel. And i finally found one, in walking distance from railway and bus station( HR palace)... the hotel was truely value for money and the food was so scrumptious yet... truely a home lyk feeling. It was Friday night when we reached. Primitively, i was wondering how can this arid region offers tremendous variety of eatables... n enormous ingredients.... i thnk li'l bit of credit we shld give to human beings also they hv the ability to create best out of every available n possible resources... dont forget- The human brain is ‘ …the most complex and orderly arrangement of matter in the universe’. Isaac Asimov... i wanted to eat more then suddendly set my mind to refrain from being a Glutton... my fellow female companion was eating lyk she was obliged to the food and the cook....
I was still not sure whether i could be able explore the beauty of the place... coz it's ol depending upon the time taken for the accomplishment of workshop...
I finished my work by Sat afternoon... it ws quarter past 4 and i was at my hotel room... lost almost all my energy due to hunger... i ordered for a authentic thali which comprises of (tiny------->huge) pickle, pakodis, dry kidney beans, churma( Rajasthani desert), gatte ki sabji, dal- baati, ... ended up with Pranthas.... "Amazingly what a nice Food can do for ones temperament...."
 I hv been told by the hotel people that this is the best time to start for Chokhi Dhani( An Ethnic Village Resort)... which is situated in outskirts of the city bt it took us around 40-45 min to reach their... the hotel ppl wr so kind and supportive tht they arrange a cab for me at commencement, heading towards the majestic Chokhi dhani and what ambience it showed us all... truely a blissful experience...

Chokhi Dhani- As name suggests its a beautiful hemlet...It captures the spirit of Rajasthan... every day thr has live dance and music performances throughout the evenings. These performances are done by the local folk artistes... it comprises everything which can swap our urban lives with right blend of traditions & modern amenity....
Delicious food with proper authentication and vivid cultural programs are the main catch of chokhi dhani... i felt as it transported me to a different world... world of zen and relaxation... culture and tradition with righteous facilities...
It explores different dance forms for different occassion lyk-
a.In Bhopa-Bhopi dance artiste tells some old folk stories of Indian Folk God and the dance on dat tale.
b.Ghoomer and Potter dance are too incredible... in ghoomer they dance on tune of desert by their foot taps... Potter is an art of balancing pots on head.
Puppet show( kathputli naach) and the Magic show( Jaadu ka khel) are so hypnotic...
Now, i was hungry... it ws 8 o'clock so, we reached to a hut in search of food... thr the food was being served at the floors... we joined other avid people out-thr. Soon a set meal is laid out in front of you... It set a great example of atithi's Aaobhagat'.... I discovered that rajasthanis chiefly prefer li'l spicy food. bt great in taste... daal-bati, sangari-sabji, bajre ki khichdi, churma, pyaaz ki chutney all were mind-blowing.

Albert Hall Museum- We started our sunday's journey with Albert Hall to incept my exploration. Half of the museum comprises 3 large galleries. Each one had nicely resorts the legacy and aristocracy of Maharajas... the central gallery is for dance and music lovers, where u can explore the notion of dance and music of that era....
This wonder-packed museum is a treasure house for unique n' unusual items. The Albert Museum stands as a classic- exemplar of cultural heritage of India and functions as State Museum. After capturing the sight of such rare treasures we headed towards another attraction.

Hawa Mahal - Palace of winds is truely a masterpiece and an example of intellectual architecture. The 5 storey exterior appears to us as Honeycomb of 'Beehive' with small windows... don't let the hot wind blow inside the monument. And corridors are made with least orientation and reaches upto top floor. Hawa Mahal does justice to the sobriquet of Pink City given to Jaipur.
But the irony is you may delay, but time will not. It always flies.... it ws almost  2 o'clock and the popular forts were still left...

City Palace- Next destination was City Palace... built by Raja Sawai Jai Singh during 1729-1732 AD... its a very popular tourist hotspot... and comprises of many rich and valuable treasures of that Era.
Amer Fort- the most precious gem of Jaipur is Amer fort... we were mesmerised by the view of it. it's the junction of both Hindu and Mughal customs and architects.... its actually a small town under Jaipur... The building comprises of symmetrical courteyards... the story of it is seems to be so facinating, looks like tale of Kings and Queen..... and lots of enigma still lies beneath it... we also visited to Sila Devi temple near Ganesh gate of fort... it is believed that Raja Mansingh owns it after defeating Raja of Jessore and the sheesh mahal is also must see .

Jaigarh Fort-  The Jaigarh Fort is a majestic stronghold built by Sawai Jai Singh II. This almost-intact fort is surrounded by huge battlements and is connected to the Amer Fort (also called 'Amber' Fort), with subterranean passages. Originally it was built to protect the Amer Fort and the palace within the complex, the Jaigarh Fort is architecturally similar to the Amer Fort, and bt magnificently offers a panoramic view of the city of Jaipur... and unlike Amer, it used to serve as the center of artillery production for the Rajputs of that time... World's largest Cannon on Wheels, Jaivan is the best catch...
What a view of Jal Mahal we had on returning... located in midst of Man Sagar Lake. the palace appears to float on the lake waters and epithets as Jal Mahal (Water Palace).

Jantar Mantar- the sculpture is quite similar to that of Delhi's Jantar-Mantar and my fondness is dfntly for   a huge collection of astronomical instruments.... the building consists of fourteen major geometric devices for measuring time, predicting eclipses, tracking stars in their orbits, and determining the movements of celestial bodies... all built from local stones and marbles...

Our monumental and eventful journey has come to an end...we wanted to grasp the whole sight of this majestic city... but unfortunately, the clock ws ticking, the hours are going by. ... it was time to pack the luggages and catch our bus...
There's a saying- You can have it all..... Just not all at once... :(
Adieus... Jaipur.. Good-Bye....

सौंदर्य :


ताकि दुल्हन के रुप में आप न बन जाएं शोपीस .........

लगभग हर लड़की की बचपन से ही ये ख्वाहिश होती है कि जब वह दुल्हन बने तब उसे जो भी देखे वो बस देखता ही रह जाए .... दुल्हन के रुप में वह बिल्हुल स्वप्न परी सी लगे परंतु जितनी शिद्दत से वे यह ख्वाब सजाती हैं , समय आने पर पूर्वयोजना के अभाव में अपने ख्वाब को ठीक तरह से पूर्ण न कर पाने की असमर्थता जीवनपर्यंत उन्हें कचोटती रहती है. इसलिये यदि आप भी दुल्हन बनने वाली हैं और चाहती हैं एक परफेक्ट दुल्हन का लुक तो निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें :


- अपने चेहरे पर फाउंडेशन के बाद और पाउडर लगाने से पहले क्रीम ब्लश लगाएं . इससे चमक आएगी और मेकअप लंबे समय तक प्रभावशाली रहेगा.

- काले या बहुत गहरे रंग के आई लाइनर से परहेज करें. इससे पिक्चर्स में आपकी आँखे छोटी नज़र आएंगी. इसकी जगह पर स्मोकी सॉफ्ट ग्रे कलर का इस्तेमाल करें तो बेहतर होगा .

- यदि आपकी त्वचा तैलीय है तो फाउंडेशन से पहले मॉइश्चराइज़र न लगाएं.

- ट्रेंडी लुक की बजाए हमेशा अपनाएं दुल्हन का क्लासिक लुक .

- इस तथ्य से हम सभी अवगत हैं कि सावधानी ही बचाव है . परंतु हम इस बात पर अमल नहीं कर पाते. यदि आपकी शादी के कुछ महीने शेष हैं तो यह बेहतर होगा कि ऎन मौके पर खूबसूरत दिखने के लिए  आप प्री - मैरिज एक्सरसाइज जरुर करें . आपको संतुलित आहार लेने के साथ साथ अपनी त्वचा का भी खास ख्याल रखना चाहिये. त्वचा को कैमिकल फ्री रखें ताकि त्वचा साँस ले सके.

- जब आपकी शादी के 48 घंटे बचें हों तो फेशियल और वैक्स नहीं कराना चाहिये. कई बार फेशियल और वैक्स से एलर्जी हो जाती है.

- शादी से कम से कम 15 दिन पूर्व फाइव गोल्डन रुल्स को जरुर आज़माएं .ये हैं - क्लेंज़िंग, टोनिंग , माइश्चराइज़िंग , सनस्क्रीन  और वीकली फेसपैक .

- अंत में सबसे खास बात . खुद पे यकीन करें. आप हैं सबसे खास, सबसे खूबसूरत , सबसे सुंदर - खुद पर यह यकीन बना देगा आपको एक परफेक्ट दुल्हन .


- स्वप्निल शुक्ला

साहित्य :

घुटन -




कभी वक़्त का ज़ख्म यूँ मिला हमें,
कि घुटन की चुभन हर वक़्त, हर पल , कुछ इस कदर हुई हमें,
बन गई रुह भी एक आवारा लाश की तरह,
जो घुटती तो है घुटन में, गर जिस्म छोड़ने को राज़ी नहीं.
मकबरे रुपी जिस्म ये मेरा , भी दूर नहीं होता इस आवारा रुह से
जाँ मेरी निकलने को होती है आतुर पर पीछे है एक अधूरापन .
ओह ! ये घुटन मेरी इस कदर हूक उठाती है,
साँसे मेरी थम कर रह जाती हैं पर काश ये घुटन की हूक ,
एक बार बाहर आ जाए मेरे दिल से ,
तो उस हूक के साथ जिस्मानी मकबरे के मोह में कैद ,
वो आवारा रुह भी बाहर आए मेरे जिस्म से .
पर ये घुटन सिर्फ और सिर्फ घुटाती है इतना ,
कि हम तरसे हैं , पानी कि एक-एक बूंद के लिये
उस वक़्त गर कुछ एहसास होता है,
तो बस होता है घुटन की घुटन का ,
घुटन की चुभन का.
जो पानी की एक बूंद से ला तो देती है जिस्मानी मकबरे में
वापस जां,
पर वापस जां के जिस्म में आ जाने से , मिला तो आखिर मिला भी क्या?
मिली तो हमें मिली बस घुटन की घुटन .



फै़शन व लाइफस्टाइल

फैशन एसेंशियल्स




लोगों को कहते सुना है कि खूबसूरती खुदा की इनायत है पर कुछ कोशिशें  जब बंदों ने की तो यही खूबसूरती इबादत बन गई . चाहतें , हसरतें, जुस्तजू और आरज़ू ...मेरे लिए तो बस तू ही तू ..तू ही तू .

स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के माध्यम से  हम जानेंगे उन  फैशन एसेंशियल्स के बारे में , जो आपको फैशन की दौड़ में  हरदम रखेंगी सबसे आगे और हर कोई आपसे कहेगा कि ..दिलकशीं है आपकी हरएक अदा.

1- स्टाइलिश हैंड बैग्स

2- 2-3 ब्लैक ड्रेसेस

3- स्टोल्स एंड स्कार्फ

4- स्मार्ट वॉच

5- सन्ग्लासेस

6- परफ़्यूम्स - डियोज़

7- लिप ग्लॉस/ लिप बाम

8- स्मार्ट क्लच

9- वेट एंड ड्राई टिस्यू वाइप्स

10- ट्रेंडी एक्सेसरीज़

11- पेंसिल हील सैंड्ल्स

12- फ्लैट चप्पल्स

13- कलर्ड कॉन्टेक्ट लेंसेस

14- हेयर ब्रश

15- ब्लैक लेगिंग्स

16- मेकअप किट

17- क्लींज़र, टोनर, सनस्क्रीन एंड मॉइश्चराइज़र 


- स्वप्निल शुक्ला





कैरियर

मूर्तिकला - बेहतर व कलात्मक भविष्य

कलात्मकता एक ऐसी प्रतिभा है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपनी अभिव्यक्ति के लिए मार्ग खोज लेती है . शायद यही कारण है कि रंगमंच , अभिनय , चित्रकारी, मूर्तिकला आदि अनेक कलाएं आज दृ्श्य -श्रव्य माध्यमों और जन संचार के अन्य क्षेत्रों में प्रयुक्त हो ही रही हैं . साथ ही इनसे जुड़े कलाकारों को नियमित रोजगार भी मिलने लगा है . यदि आप भी कला जगत में अपना नाम बनाने के इच्छुक हैं तो जून- जुलाई माह में विभिन्न विश्वविद्यालयों के फाइन आर्ट्स संकाय में 4 वर्षीय बीएफए पाठयक्रम में दाखिला लिया जा सकता है. कलात्मकता से संबंधित एक ऐसा ही क्षेत्र है मूर्तिकला. मूर्तिकला जिसे आजकल सृ्जनशील कैरियर के रुप में अहमियत दी जा रही है. आज के समय में लोग कलाकृ्तियों मूर्तियों को खूब खरीदने लगे हैं. कला के कद्रदानों की बढ़ती संख्या से मूर्तिकला का क्षेत्र मुनाफे का धंधा बन चुका है. अत: इस क्षेत्र में सृ्जनशील कैरियर का आकर्षण तेजी से बढ़ रहा है. स्क्ल्पचर्स की लाइन में जीनियस कलाकारों की माँग हमेशा रही है. भारतीय मूर्तिकारों को विकसित देशों में खूब तवज्जो दी जा रही है . आप 10+2 के बाद बीएफए पाठयक्रम में दाखिला प्राप्त कर सकते हैं. दसवीं के उपरांत कला भवन, विश्व भारती यूनिवर्सिटी , शांतिनिकेतन , कोलकाता के अंतर्गत स्क्ल्पचर्स  में 2 वर्षीय डिप्लोमा किया जा सकता है. एप्टीट्यूड टेस्ट के आधार पर दाखिले का प्रावधान है . मूर्तिकला प्रशिक्षण के मुख्य केन्द्र हैं-

आगरा विश्वविद्यालय , आगरा
शिल्पकला महाविद्यालय, लखनऊ
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी , फैकल्टी आफ विजुअल आर्टस, वाराणसी
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय , फैकल्टी आफ आर्ट्स, अलीगढ़
गवर्नमेंट कालेज आफ आर्टस , पंजाब युनिवर्सिटी
कालेज आफ आर्ट्स , दिल्ली विश्वविद्यालय
जे जे स्कूल आफ आर्टस , मुंबई



- अमित चौहान


पकवान

सोयाबीन टिक्की



सामग्री : 
500 ग्राम आलू
1/4 कप धनिया पत्ती
1/4 छोटा चम्मच धनिया पाउडर
4 हरी मिर्चे
1/4 छोटा चम्मच गरम मसाला
1 टमाटर
1/2 छोटा चम्मच जीरा
1 छोटा चम्मच नींबू का रस
6 वाइट ब्रेड्स्लाइस
1/2 कप सोयाबीन
2 बड़े चम्मच पीनट आयल
1 छोटा चम्मच नमक

विधि :

सोयाबीन को अच्छी तरह से धो कर सारा पानी निकाल लें.  तेल गरम करें , जीरा और टमाटर बारीक कटा हुआ डालें. फिर सोयाबीन, नमक, हल्दी, धनिया पाउडर , गरम मसाला मिला कर फ्राई करें. धनिया पत्ती से गार्निश करके ठंडा होने दें. आलुओं को उबाल कर छील लें और अच्छी तरह मैश करके नमक मिक्स करें. फिर मिक्सी में ब्रेड्स्लाइस और हरी मिर्चों  को एक साथ ग्राइंड करें और  मैश आलुओं के मिश्रण में अच्छी तरह मिक्स करें. फिर इस मिश्रण को थोड़ा- थोड़ा हथेली पर लेकर फैलाएं और सोयाबीन मिश्रण बीच में रख कर रोल बनाएं. फिर गरम तेल में सुनहरा होने तक टिक्कियां फ्राई करें . कैचअप के साथ सर्व  करें.


- सुमन त्रिपाठी


कड़वा सच

खुशियों की चाभी

जीवन के मीठे रस, जीवन के रंग व खूबसूरत ज़िन्दगी ' क्या सटीक परिभाषा है एक सफल व सुन्दर ज़िन्दगी की जहाँ हमारी दुनिया हमारे सपनों की दुनिया जैसी हो?
आम तौर पर किसी भी व्यक्ति की चाहत - नाम, शोहरत व दौलत पाने की होती है जिसके लिये वो हर संभव प्रयास करता है. पर सबको सब कुछ मिल जाये बिना कुछ गंवाये , क्या यह संभव है? निःसंदेह मुश्किल तो है पर असंभव नहीं. पर वो, जिन्होंने सब कुछ खो कर ही कुछ या बहुत कुछ पाया है, वे अपनी कुंठाओं की प्रस्तुति किस प्रकार करते होंगे ? ज़िन्दगी में दौलत से बहुत कुछ खरीदा जा सकता है परंतु खुशियों को नहीं फिर भी लोग ज़िन्दगी की खुशी दौलत में ही तलाशते व दर्शाते हैं. पर आपका अपना अस्तित्व क्या है? दौलत के अलावा , आप क्या हैं? किस मुकाम पर हैं? यदि धनवान हैं तो नाम व पह्चान क्या है ?
कुछ लोगों से मैंने सुना कि मेरे बाप- दादाओं ने इतनी दौलत जोड़ कर रखी है तो मुझे काम करने की क्या जरुरत ? परन्तु व्यक्ति की पहचान तो उनके काम या उनके द्वारा किये गए कामों से ही होती है. तो क्या ऐसे लोगों को पह्चान की भी जरुरत नहीं?

कुछ युवतियां जुगाड़ द्वारा अमीर घरौंदे में ब्याह कर धनवान महिला बन गईं और फिर श्रीमती फलाना कहलाई जाने लगीं .पहचान पूछने पर जवाब आता है ," मैं उनकी पत्नी हूं ,उस रईस खानदान की मैं बहु हूं ". पर वे क्या हैं ? इस प्रश्न का जवाब कुछ इस प्रकार आता है कि, " ये कैसा बेहूदा सवाल है? मेरे पास इतनी दौलत है कि मैं दुनिया की हर वस्तु खरीद सकती हुं ,दौलत ही मेरी पह्चान है , खुशी है व सब कुछ है. दौलत के बिना कोई कुछ भी नहीं. क्या तुम्हारे पास दौलत है?"



ऐसे जवाब सुन मैं स्तब्ध रह जाती हूं. यही ख्याल आता है कि उफ्फ !! ये वक्त ! ये बददिमाग लोग !
भौतिकवाद के इस युग में धन की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता पर धन ही खुशियों की चाभी है , इस भ्रम को अपनाया नहीं जा सकता.
व्यक्ति को हर वक्त दौलत कमाने व अपनी शेखी बखारने से परे कुछ अच्छे कार्यों द्वारा अपना नाम व पहचान स्थापित करने के लिये भी प्रयासरत रहना चाहिये ताकि अन्य व्यक्ति उनका अनुसरण कर सकें. अच्छे कार्यों से तात्पर्य उन कार्यों से है जिनसे हमारे देश व समाज का कल्याण हो. वे अच्छे कार्य चाहे, एक सफल मां, बेटी , भाभी, बीवी, बहन, मित्र, बेटा, पिता, भाई, देवर, सास , ससुर आदि रिश्ते निभा के व अपनी जिम्मेदारियों को सम्पूर्ण कर, किये जाएं या व्यावसायिक क्षेत्रों में अपनी सक्रिय भागीदारी देकर , जिन कार्यों से आप अन्य लोगों के लिये प्रेरणा बनें, वे कार्य ही आपको आपके अस्तित्व की पह्चान कराते हैं और ज़िन्दगी कि असली खुशी से आपका साक्षात्कार कराते हैं.

खुशियों की चाभी दौलत में नहीं बल्कि नेक कार्यों द्वारा स्वयं को एक सुखद अनुभूति प्रदान करने में है. नेक कार्यों द्वारा प्राप्त खुशियां , शांति व सुख द्वारा बन जाती है आपकी ज़िन्दगी ठीक वैसी , सपनों की दुनिया के जैसी.


- स्वप्निल शुक्ल


इंटीरियर्स


वास्तु शास्त्र और आप




वास्तु शास्त्र का क्षेत्र काफी विस्तृ्त है . नि: संदेह इस विद्या का मूल उद्देश्य मानव जीवन में सुख, शांति , सुगमता व सौहार्द लाना है. आज लगभग हर व्यक्ति अपने घर का निर्माण वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुरुप ही करवाना पसंद करते है .वास्तु शास्त्र के बारे में जब भी कोई बात हमारे सामने आती है तो सबसे पहले विचार यही आता है कि आखिर किस तरीके से हम अपने घर व व्यापार में वास्तु सा सही प्रयोग कर लाभ उठा सकते हैं. तो आइये सबसे पहले इस संदर्भ में जानते है कि वास्तु शास्त्र है क्या ? और ये  किस प्रकार हमारे जीवन पर प्रभाव डालता है?

वास्तु शास्त्र एक प्राचीन कला व विज्ञान है जिसके अंतर्गत किसी भी स्थान के उचित निर्माण से संबंधित वे सब नियम आते हैं जो मानव और प्रकृ्ति के बीच सामंजस्य बैठाते हैं जिससे हमारे चारों ओर खुशियाँ, संपन्नता , सौहार्द व स्वस्थ वातावरण का निर्माण होता है.

वास्तु शास्त्र की रचना पंचतत्व अर्थात धरती, आकाश , वायु , अग्नि, जल व आठ दिशाओं के अंतर्गत होती है.

अपने घर को सही वास्तु शास्त्र के अनुसार सुनियोजित करने के लिए दिशाज्ञान यंत्र अर्थात कम्पास का प्रयोग करें ताकि घर की सही दिशाओं का ज्ञान हो सके.

सबसे पहले घर के पूजा कक्ष अर्थात मंदिर की बात करें तो इसको घर के उत्तर पूर्व { ईशान } दिशा मेम बनवाना चाहिये. अब प्रश्न यह उठता है कि मंदिर के अंदर की आठ दिशाओं की क्या व्यवस्था होनी चाहिये?
ईश्वर की मूर्ति पश्चिम या पूर्व दिशा में स्थापित करनी चाहिये. मंदिर की ईशान { उत्तर पूर्व } दिशा पूजा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थल होता है.

पूजा कक्ष के बाद बात करते हैं शयन कक्ष की . घर के मुखिया के लिए दक्षिण - पश्चिम { नैऋत्य } दिशा का शयन कक्ष बेहतर होता है. मुखिया के बाद घर के बड़े सदस्य को दक्षिण - पूर्व व उसके बाद के सदस्य को उत्तर- पश्चिम दिशा में शयन कक्ष बनवाना चाहिये. बच्चों के लिए उत्तर- पूर्व दिशा में बनवाया गया शयन कक्ष  बेहतर रहता है.
शयन कक्ष के अंदर बिस्तर को या तो कमरे के मध्य में रखें या फिर कमरे की दक्षिण - पश्चिम हिस्से में लगायें क्योंकि वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण - पश्चिम हिस्सा सदैव भारी होना चाहिये . बिस्तर कभी भी उत्तर व पूर्व दिवारों से सटा न हो . शयन कक्ष में पुस्तकों की अलमारी आदि दक्षिण - पश्चिम या पश्चिम दिशा में रखें . स्टडी टेबल  व चेयर भी इसी दिशा में रखना शुभ माना जाता है. यदि शयन कक्ष में हम टी. वी व अन्य बिजली के उपकरणों का प्रयोग कर रहे हैं तो इनको दक्षिण - पूर्व { आग्नेय } दिशा में लगायें.
अब हम बात करते हैं बाथरुम की . बाथरुम को घर के उत्तर - पश्चिम कोने में बनवायें. बाथरुम के अंदर ईशान { उत्तर - पूर्व } दिशा में शॉवर या नल लगवाएं . बाथरुम के ईशान क्षेत्र में  कभी भी ड्ब्ल्यू. सी ( W.C. )  न लगवाएं . शीशा सदैव पूर्व दिशा में लगाएं. ड्ब्ल्यू . सी को उत्तर - पश्चिम { वायव्य } क्षेत्र में लगवाएं. गंदे कपड़ों को पश्चिम दिशा में रखें.  यदि कोई अलमारी हो तो उसे दक्षिण - पश्चिम क्षेत्र में रखें. गीजर, हीटर व अन्य बिजली के उपकरणों को दक्षिण - पूर्व { आग्नेय } दिशा में लगवाएं. बाथरुम का प्रवेश उत्तर या पूर्व में रखें.

आइए अब हम बात करते हैं किचन अर्थात रसोईघर की . किचन को घर के दक्षिण - पूर्व { आग्नेय } दिशा में बनवाना चाहिये. यदि घर का प्रवेश द्वार पूर्व या दक्षिण में हो तो आप किचन को उत्तर - पश्चिम { वायव्य } दिशा में स्थापित करें. खाना बनाने की वर्किंग प्लेट्फार्म को पूर्व दिशा में होना चाहिये क्योंकि खाना बनाते समय यदि खाना बनाने वाले का मुँह  पूर्व दिशा में हो तो शुभ माना जाता है. किचन के सिंक को उत्तर - पूर्व { ईशान } दिशा में होना चाहिये . ऐसी मान्यता है कि उत्तर पूर्व दिशा में पानी का प्रवाह बेहद शुभ होता है. किचन में सिलेंडर को दक्षिण - पूर्व { आग्नेय } दिशा में रखें. गीजर व अन्य बिजली के उपकरणों को भी दक्षिण - पूर्व { आग्नेय } दिशा में लगवाएं . किचन के बर्तन , खाने का सामान , अलमारी आदि को दक्षिण व पश्चिम दिशाओं में बनवायें. फ्रिज को उत्तर- पश्चिम क्षेत्र में रखें.
वास्तु शास्त्र हमारे प्राचीन इतिहास की एक अनमोल देन है. वास्तु शास्त्र के नियमों पर आधारित बने हुए मकान उस घर में रहने वाले सदस्यों के लिए सदैव खुशहाली, संपन्नता, सुख व शांति लाते हैं . वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुरूप की गई आंतरिक साज- सज्जा , वस्तुओं का सही दिशानुसार रख -रखाव आदि द्वारा हम हमारे घर में सकारात्मक ऊर्जाओं को आमंत्रित करके अनेकों प्रकार से लाभ उठा सकते हैं और अपने जीवन को एक खूबसूरत व सुखद आयाम दे सकते हैं .

 - ऋषभ शुक्ल


धर्म, संस्कृ्ति व संस्कार

 सीता की अग्निपरीक्षा  :

'रामायण' हमारे प्राचीन भारत की महागाथा .धर्म की अधर्म पर विजय की गाथा . कर्त्तव्यों , ज़िम्मेदारी, वचन, मर्यादा, छल, वीरता, पौरुष ,संघर्ष की कहानी. यूँ तो रामायण में समस्त पात्रों की अहम भूमिका है . परंतु मेरे अनुसार रामायण का केन्द्र बिंदु देवी सीता हैं. पूरी कहानी उन्हीं के इर्द-गिर्द है. सौंदर्य, पतिव्रत, धर्म, त्याग व स्नेह की प्रतिमूर्ति सीता का चरित्र आज भी प्रासंगिक है. राम की शक्ति हैं सीता, सौंदर्य का पर्याय हैं सीता. माना जाता है कि सीता के सदृ्श सौंदर्यवती का जन्म न उनके पूर्व हुआ था न पश्चात में. शोभा की निधि होने के बावजूद पतिव्रत, त्याग एवं स्नेह की साक्षात प्रतिमूर्ति सीता जी का उज्जवल चरित्र हमेशा से ही महिलाओं के लिये अनुकरणीय है.

राम जिस शक्ति से मनुष्य से भगवान बने उन सीता का नाम राम के पहले आता है. रावण के वैभव और वीरता के प्रसंगो से भी देवी सीता का मन नहीं डोला . सीता जी के ओज , वीरता , दृ्ढ़ निश्चय के आगे रावण का भी आत्मविश्वास हिल गया था.

धरती से प्रसूत हुईं देवी सीता लावण्या थीं . वे साहसी, स्वाभिमानी, वीर, संयमी, दयालु व आत्मविश्वास से परिपूर्ण थीं . परंतु आज के समय की विडंबना तो देखिये कि देवी सीता द्वारा दी गई अग्निपरीक्षा की परिभाषा ही बदल दी गई है. आज सीता की अग्निपरीक्षा का अर्थ यह समझा जाता है कि सीता की तरह हर स्त्री को अपने जीवन में अग्निपरीक्षा तो देनी ही पड़ेगी .

सीता ने अग्निपरीक्षा दी क्योंकि उन्हें पता था कि वे पवित्र हैं . फिर भी यह उनका स्वाभिमान था कि भविष्य में कोई उनके चरित्र पर लांछन लगाने की हिम्मत ना करे . देवी सीता ने विषम परिस्थितियों में भी अपना पतिव्रत धर्म नहीं त्यागा. वे अपनी ज़िम्मेदारियों से पीछे कभी ना हटीं. चाहे फिर अपनी स्वेच्छा से राम के साथ 14 वर्षीय वनवास का दृ्ढ़ निश्चय हो या रावण की कैद में भी स्वाभिमान व साहस के साथ अपने पतिव्रत धर्म का पालन करना हो.

आज के परिवेश् में अग्निपरी़क्षा की परिभाषा ही बदल दी गई है. आज के समाज में लोगों की विकृ्त मानसिकता के कारण स्त्रियों को अग्निपरीक्षा की दुहाई दी जाती है और उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे पग-पग पर खुद को सही व पवित्र होने का साक्ष्य दें. विरोध करने पर हमारे पुराणों की, सीता की अग्निपरीक्षा की याद दिलाई जाती है .फिर पति चाहे कितने ही ऐबों से लैस हो परंतु पत्नी को वो सीता जैसी होने का भाषण देने में कोई गुरेज नहीं करेगा.

कुछ समय पूर्व आई फिल्म 'लज्जा ' में इस मुद्दे को बड़ी ही गंभीरता से उठाया गया था कि काश ! सीता अग्निपरीक्षा न देतीं , तो आज औरतों को पग-पग पर अग्निपरीक्षा न देनी पड़ती. काश ! कोई राम से भी कहता अग्निपरीक्षा के लिये. फिल्म में आवाज़ उठाने वाले पात्र को जनता पीट-पीट कर अधमरा कर देती है .जैसा फिल्म में दिखाया गया वही हमारे समाज का कटु सत्य है. परंतु मुद्दा यह नहीं कि यदि सीता ने अग्निपरीक्षा दी तो आज हर स्त्री को अग्निपरीक्षा देनी होगी, ये धर्म कहता है ...... धर्म यह नहीं कहता क्योंकि अग्निपरीक्षा के बाद जब एक अधम जीव की बात पर राम ने देवी सीता को त्यागा तब उन्होंने पूर्ण स्वाभिमान के साथ प्रतिकूल परिस्थितियों में अकेलेदम अपनी संपूर्ण ज़िम्मेदारियों का साहस व स्वाभिमान के साथ पालन किया . देवी सीता ने न केवल दो बच्चों लव व कुश को जन्म दिया बल्कि उन्हें उपयुक्त शिक्षा- दीक्षा देकर योग्य बनाया. ये सीता की ही वीरता, संघर्ष , अनुभव, स्वाभिमान व साहस था कि लव-कुश जो कि मात्र सात-आठ वर्ष के बालक थे, उनके पराक्रम का लोहा भगवान राम ने भी माना, जिनके ओज, पौरुष व पराक्रम के पीछे परवरिश थी देवी सीता की.

उसके बाद जब राम ने सीता जी से पुन: अयोध्या वापस आने का आग्रह किया तब भगवान राम की इच्छानुसार वे दरबार गईं परंतु पुन: अग्निपरीक्षा नहीं दी अपितु सीता जी का ये स्वाभिमान ही था कि अपनी समस्त ज़िम्मेदारियों, कर्त्तव्यों को पूर्ण कर वे धरती में समा गईं. वो उनका पतिव्रत ही था कि उनकी पीड़ा देख स्वयं धरती ही फट गई... धरती से जन्मीं और धरती में ही लीन हो गईं महापराक्रमी जनकसुता देवी सीता.

रामायण में सीता जी का चरित्र ही मुख्य है. रावण जैसे अहंकारी व विनाशी राजा की मृ्त्यु व सर्वनाश का कारण हैं सीता. अपनी पवित्रता व स्वाभिमान की रक्षा की परिचायक हैं सीता , स्त्री शक्ति की द्योतक हैं सीता. श्री सीताजी का चरित्र अति दिव्य है, उनकी प्रत्येक लीला दिव्य है.

देवी सीता से हमारे समाज को यह सीख लेनी चाहिये कि विषम परिस्थितियों में भी पूर्ण स्वाभिमान के साथ अपनी ज़िम्मेदारियों का पालन करना ही आदर्श जीवन की परिभाषा है. और देवी सीता से यह सीख स्त्रियों के साथ -साथ पुरुषों को भी लेनी चाहिये न कि अग्निपरीक्षा के सही मायनों को दरकिनार करके पग-पग पर स्त्री को अपनी पवित्रता का साक्ष्य देने के लिये बाध्य करने की नीचता करनी चाहिये .

धर्म के ठेकेदारों को व अपने स्वार्थ और स्वयं की नीच मानसिकता के चलते स्त्रियों को सीता की अग्निपरीक्षा की दुहाई देने से पूर्व सर्वप्रथम पूरे होशो-हवास में रामायण का पुन: अध्ययन करना चाहिये खासकर सीता जी की जीवन गाथा का पुन: अध्ययन करें और उसके बाद ही लोगों को हमारे पुराणों व सीता की अग्निपरीक्षा की दुहाई देने की चेष्टा करें.


- ऋषभ शुक्ल


शख्सियत

श्री जामिनी राय

विश्व तथा भारत के शिल्पलकला के इतिहास में श्री जामिनी राय भारतीय कला की धारा के धारक एवं वाहक जैसे हैं. शिल्प सम्राट श्री जामिनी राय का जन्म 11 अप्रेल 1887 ई0 को पश्चिम बंगाल के बेलतोड़ नामक गाँव में हुआ था . बचपन से ही शिल्प के प्रति इनका असीम आकर्षण था . वे रास्ते के रंगीन पत्थर उठाकर एक के बाद एक सजाकर नाना प्रकार के सुंदत आकार का नक्शा बनाया करते थे. कई वर्ष इस प्रकार बीत गए. एक बार बाँकुड़ा जिले में एक प्रदर्शनी का आयोजन हुआ. किशोर शिल्पी जामिनी राय ने भी शिल्पी का समाज नामक वित्र अपने पिताजी की अनिच्छा के बावजूद भेजा. विचारक इस चित्र को देख मुग्ध हो गए. किशोर जामिनी राय को एक स्वर्ण मुद्रा पुरस्कार के रुप में मिली. इस प्रकार श्री जामिनी राय के शिल्प जीवन की प्रगति पथ को प्रथम स्वीकृ्ति मिली. इससे उनको चित्र बनाने में प्रर्याप्त प्रोत्साहन मिला. इनके वैभवशाली व संपन्न जमींदार पिता श्री रामतारन राय ने स्वयं कलाप्रेमी होने के कारण अपने पुत्र मैं शिल्प चेतना का स्पष्ट आभास पाकर , उसे रंग नियोजन के नियंत्रित संबंध को सीखने के लिए कलकत्ता भेजा. संघर्ष एवं आर्थिक सम्स्या के बावजूद इन्होंने अपनी शिल्प तपस्या से कभी मुँह नहीं मोड़ा. जामिने राय की शिल्प साधना के प्रथम चरण का प्रारंभ  मिट्टी की मूर्ति , अल्पना, संथाली के घर की दीवार पर रंग- बिरंगे चित्र आदि के अनुकरण से होता है. इस प्रकार इनके चित्र की नायिका यौवनोच्छवल संथाल नारी, बंगाल के बाउल- गायक , किसान , कर्मकार आदि थे . इन चित्रों के अलावा राधा कृ्ष्ण के चित्र, वेदनायुक्त ईसामसीह का चित्र बनाकर काफी नाम कमाया. द्वितीय महायुद्ध के बाद इनकी ख्याति विदेशों तक पहुँची. बड़े - बड़े विदेशी चित्रकारों ने इनकी प्रशंसा की. कुछ काल के बाद इन्होंने प्राचीन बंगाल के लोक -शिल्प मैं सौंदर्य का सम्मिश्रण कर एक नयी चित्ररीति का प्रवर्तन किया .

इस समय शिल्पी का मन कभी परियों के राज्य में तो कभी चैतन्यलीला, रामायण , महाभारत या कृ्ष्णलीला आदि पर रहता था . इनके पुजारिनी , कीर्तन, गायक, फकीर , संथाल लड़की आदि के चित्र ब्भी मनमोहक हैं. इनके समय के चित्रों में बंगाल की अल्पना ही शिल्प की बुनियाद थी. उस समय लौकिक तथा ग्रामीण शिल्प की ओर लोगों का अधिक झुकाव था. वृ्द्धावस्था में साधारण कपड़ों में गोबर पोतकर सिंदूर , नील , सफेद चॉक , मिट्टी आदि से रंग बनाकर पतली तीली के ऊपर पाट या रुई से ब्रश बनाकर चित्र बनाना प्रारंभ किया . इस बार यह अदभुत शिल्पकार अपने शिल्प कला का प्रदर्शन करते हुए अंत में 24  अप्रेल सन 1972 ई0 में सोमवार , सुबह लगभग 11 बजे , कलकत्ता के आनंद चटर्जी लेन स्थित बास- भवन में परलोक यात्रा पर चल् पड़े.




उद्यमीयता विकास

यह तथ्य सर्वविदित है कि किसी राष्ट्र के औद्योगीकरण में उद्यमी की मुख्य भूमिका होती है.  उद्यमीयता का विकास आर्थिक एवं सामाजिक  उत्थान के लिये अत्यंत आवश्यक है. कोई भी व्यक्ति मात्र जन्म से उद्यमी नहीं होता वरन उसमें उद्यमीयता के गुणों का विकास किया जा सकता है. उद्यमीयता के विकास से दो मूलभूत आवश्यकताओं का प्रतिपादन होता है:-

1- स्वरोजगार ( Self -employment )
2- आर्थिक लाभ ( Monetary benefits )


आर्थिक विकास के संबंध में सामान्य दृ्ष्टिकोण की बात करें तो हम देखेंगे कि यह बहुत पुरानी मान्यता है कि किसी देश का आर्थिक विकास  वहाँ के व्यक्तियों में उद्यमीयता का ही प्रतिफल है. असल में एन्ट्रीप्रिन्योर  का अध्ययन आधुनिक आर्थिक सिद्धांत के केन्द्रीय विषय का अध्ययन है और यह केन्द्रीय विषय अर्थशास्त्र ही है. इससे पूर्व कि हम व्यक्ति में छिपी उद्यमीयता की पहचान करें यह विचार करना आवश्यक है कि एक उद्यमी अथवा उद्योग साहसिक  कौन हो सकता है क्योंकि इस बात पर विचार भी उद्यमी को पहचानने का एक आवश्यक आधार है.

शब्द कोष की परिभाषा के अनुसार एन्ट्रीप्रिन्योर वह व्यक्ति है जो लाभ के लिए किसी उद्योग , व्यवसाय अथवा व्यापार को संगठित तथा संचालित करने का जोखिम उठाता है . एन्ट्रीप्रिन्योर शब्द की व्युत्पत्ति ' इन्टरप्राइज़ ' शब्द से हुई है जो संज्ञा के रुप में साहसी, कठिन व जोखिम पूर्ण कार्य तथा महत्वपूर्ण व्यवसाय का अर्थ देता है और विशेषण के रुप में इनका अर्थ होता है ऐसे व्यवसायों में साहसिकता की इच्छा तथा जोखिम उठाने की प्रवृ्त्ति .

सीधे शब्दों में उद्यमी वह व्यक्ति है जो किसी फर्म ( व्यवसायिक इकाई ) को संगठित करता है तथा उसकी उत्पादन क्षमता की वृ्द्धि करता है.

इसमे अतिरिक्त शब्द कोष में दिया गया एन्ट्रीप्रिन्योर  का अर्थ ही उसके विशिष्ट गुणों और कार्यों को स्पष्ट करत है जैसे :

1- वह उत्साही और निर्भीक होता है

2- जोखिम उठाने को तैयार रहता है

3- नए प्रयोगों के लिए प्रस्तुत रहता है

4- व्यवसाय  का संगठन एवं प्रबंधन करता है

5- यह सब करके लाभ अर्जित करने हेतु सदा जोखिम उठाने को तैयार रहता है.



विसिट करें :  www.entrepreneursadda.blogspot.com


- ऋषभ शुक्ला



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Comments

  1. हर्ष अग्निहोत्री10 November 2013 at 04:04

    बहुत खूब . बढ़िया लेखों एवं आवरण से सुसज्जित पत्रिका.

    * हर्ष अग्निहोत्री

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  2. अनीता वर्मा10 November 2013 at 04:04

    श्री जामिनी राय जैसे महान शिल्पकार की जीवनी पर प्रकाश डालने के लिए आभार .
    बेहद आकर्षक व मनमोहन पत्रिका एवं चिट्ठा . बधाई

    - अनीता वर्मा

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  3. love the content . its nice to see an extra -ordinary article highlighting the specialities of Rajasthan .
    really inspired by the new column on entrepreneurship . khushiyo kee chaabhi is fabulous.

    congrats to your team .
    good luck

    - Ravi Sharma

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  4. मिथलेश त्रिपाठी10 November 2013 at 04:14

    लंबे अंतराल के बाद स्वप्निल सौंदर्य ई- पत्रिका की वापसी. अति उत्तम एवं प्रशंसनीय . बधाई

    - मिथलेश त्रिपाठी

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  5. well i wud love to recommend this ezine to my family and friends because i find it very useful, informative and worthy .
    Thanks for creating a great ezine.

    - Paramjeet Arora

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  6. आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस पारंपरिक परिवेश में ढ्ली एक सुंदर पत्रिका ...
    वाकई , जैसे सपनों की हो कोई दुनिया.
    संपादक मंडल को आभार् व बधाई.

    शिखा दुबे.

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  7. an ezine of extremely high quality . congrats. keep up the good work !

    - Jasveer Kaur

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  8. swapnil saundarya actually promotes the finest creative things and expressions around the country . from the most traditional to avant garde. we cn find so many good and useful things ....ways to improve your lifestyle and many more ...the list is endless ..thnks swapnil saundarya !!!!!!

    ***** Narayani Gopalan******Hyderabad

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  9. my fav. things abt this online magazine : - swapnil saundarya combines interseting features with fashion advice like this time loved the special column, " colors of spirit " , last time it was on law by mr. rajeev dhawan ...that was also amazing .and a great info. on rudhraksha was provided in the first issue.
    i loved the delicious recipes and beauty column. i wanaa subscribe to swapnil saundarya ezine. actually i want to have a compiled collection of its all issues. plz . enlighten me in this regard .

    Rekha Parekh

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  10. wow. its such an awesome day that i read this ezine. i was looking forward for such great content since so long . there are hundreds of magazine available in market but a lifestyle ezine with a lavish presentation and fabulous content is really admirable.

    keep going .

    Deepika Mittal

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  11. swapnil saundarya always inspired me to make my life just like my dream world. love the editorial and khushiyo ki chaabhi ( kadva sach ) .

    Vipul .

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  12. अरुण कुमार10 November 2013 at 04:45

    एक बेहतरीन पत्रिका . ऋषभ जी ! आपसे निवेदन है कि अपनी पत्रिका का अंग्रेजी में अनुवाद भी अवश्य अपडेट करें ताकि अंग्रेज़ी भाषा के पाठक भी इतनी सर्वोच्च पत्रिका और महत्वपूर्ण जानकारियों को प्राप्त कर सकें . यदि मुझे आपकी पत्रिका का अनुवादक बनने का मौका मिले तो मुझे अच्छा लगेगा. मैंने अंग्रेज़ी साहित्य में परास्नातक इलाहाबाद् विश्विद्यालय से किया है .संप्रति : एक प्रख्यात विद्यालय में शिक्षक.
    आपकी ई -मेल पर इस विषय पर अपनी राय स्पष्ट तौर पर लिखी है ..गौर अवश्य कीजियेगा.

    अरुण कुमार

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  13. i found swapnil saundarya to be a storehouse of information and a better lifestyle .
    Mridul Pathak

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  14. Gaurangi Sachdeva11 November 2013 at 03:29

    one of the most interesting features of this issue of swapnil saundarya is Fashion essentials....( fashion nd lifestyle ). i also liked the colours of the spirit ,Madhumita's diary + Sita ki agnipariksha ( hats off to u for such bold article . truly inspiring ...your thoughts are very revolutionary . keep it up ) + recipe is too awesome .

    Gaurangi Sachdeva

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  15. I enjoyed this issue of swapnil saundarya ezine a lot . the poetry 'Ghutan' is so heart touching that i can't explain it in words. article on vastu , editorial are simply awesome..i thought i must say thanks to this ezine for inspiring me and giving me so many ideas to improve my lifestyle. Thanks and regards.

    Sujata Kulkarni

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  16. hi Rishabh ji !
    i have just gone through the june and August issues and found them very useful and full of wonderful content. surprisingly, all the articles have excellent paintings and graphics . I am an Interior designer too in chandigarh . saw your website too . you are doing a great job sir .i found this article on eco friendly design in the first issue, informative and useful .
    Thanks and best wishes for the future issues.
    * Manish Purohit, Chandigarh

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  17. The future of swapnil saundarya ezine is very bright like the bright paintings appeared on this online magazine.
    best wishes .kudos to editorial team and pen behind the swapnil saundarya ezine.
    Bhupendra Mishra

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  18. i was a regular reader of swapnil saundarya blog owned and managed by miss. swapnil shukla . now the blog is also available as an online magazine ...i can't believe that in India, we have such talented and great ppl that comes together and created an amazing e-zine ..The concept is really new for me and i am sure for most of the indians..and what more surprises me is that the ezine is available in our mother tongue HIndi . Truly praiseworthy . Salute
    Roopesh Sinha

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  19. बेहतरीन पत्रिका . ऋषभ जी

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  20. बेहतरीन इ पत्रिका .. आपकी पेंटिंग बहुत सुन्दर है .. अन्य रचनाये भी अत्यंत सराहनीय है .. बधाई आपको ..

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  21. पेंटिंग के लिए बहुत शुभकामनाये...निरखती रह गयी...अदभुत है..
    दो घंटे से पढ़ रही थी..बहुत सुन्दर पिरोया आपने अपनी पत्रिका में...

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  22. an amazing and extra ordinary ezine . congrats to the whole team

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